कौषिकी नृत्य: महिला सशक्तिकरण का एक शक्तिशाली उपकरण
कौषिकी नृत्य निश्चित रूप से एक अद्वितीय नृत्य है जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
महिला सशक्तिकरण के संदर्भ में कौषिकी नृत्य की भूमिका:
- शारीरिक स्वतंत्रता: कौषिकी नृत्य महिलाओं को शारीरिक रूप से सशक्त बनाता है। यह नृत्य शरीर के सभी अंगों को मजबूत बनाता है और लचीलापन बढ़ाता है। इससे महिलाएं अधिक आत्मविश्वास महसूस करती हैं और अपने शरीर पर अधिक नियंत्रण पाती हैं।
- मानसिक स्वास्थ्य: यह नृत्य तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में मदद करता है। नियमित अभ्यास से मन शांत और एकाग्रचित होता है। यह महिलाओं को मानसिक रूप से मजबूत बनाता है और उन्हें जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाता है।
- आत्मविश्वास: कौषिकी नृत्य महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ाता है। जब महिलाएं अपने शरीर और मन पर नियंत्रण पा लेती हैं तो वे अधिक आत्मविश्वासी महसूस करती हैं। यह आत्मविश्वास उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।
- समाज में भूमिका: कौषिकी नृत्य महिलाओं को समाज में एक सक्रिय भूमिका निभाने में मदद करता है। यह नृत्य महिलाओं को एक साथ लाता है और उन्हें एक मजबूत समुदाय बनाने में मदद करता है।
- आध्यात्मिक विकास: कौषिकी नृत्य आध्यात्मिक विकास का एक शक्तिशाली उपकरण है। यह नृत्य महिलाओं को अपने भीतर की शक्ति को खोजने में मदद करता है और उन्हें जीवन के उच्चतर अर्थ से जोड़ता है।
कौषिकी नृत्य को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कुछ सुझाव:
- समुदाय का निर्माण: कौषिकी नृत्य को लोकप्रिय बनाने के लिए समुदाय का निर्माण करना बहुत महत्वपूर्ण है। महिलाओं को एक साथ लाकर और उन्हें कौषिकी नृत्य सिखाकर, हम एक मजबूत समुदाय का निर्माण कर सकते हैं।
- शिक्षा: कौषिकी नृत्य के लाभों के बारे में जागरूकता फैलाना बहुत जरूरी है। स्कूलों, कॉलेजों और समुदाय केंद्रों में कौषिकी नृत्य कार्यशालाओं का आयोजन किया जाना चाहिए।
- सरकारी समर्थन: सरकार को कौषिकी नृत्य को बढ़ावा देने के लिए नीतियां बनानी चाहिए। सरकार को कौषिकी नृत्य के लिए प्रशिक्षण केंद्रों को स्थापित करने और प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए धन उपलब्ध कराना चाहिए।
“कौषिकी नृत्य के संदर्भ में,
शरीर और मन के बीच का संबंध बहुत निकट होता है। इसलिए, शरीर को नजरअंदाज करके मन को विकसित करना संभव नहीं है। आध्यात्मिक गुरु श्री श्री आनंदमूर्तिजी ने अपने साधना प्रणाली में कुछ ऐसे अभ्यास निर्धारित किए हैं जो साधक को शरीर को बेहतर बनाने, मन को विकसित करने और आत्मा को प्रबुद्ध करने की क्षमता प्रदान करते हैं।” “आनंदमार्ग में, इस प्रणाली को ‘षोडश विधि’ कहा जाता है, और षोड़श विधि का महत्वपूर्ण पहलु है – कौषिकी।
कौषिकी नृत्य:
1978 में 6 सितंबर को पटना में श्रीश्रीआनन्दमूर्तिजी ने इस नृत्य का प्बर्तन किया। संस्कृत शब्द ‘कोष’ से ‘कौषिकी’ शब्द का उत्पत्ति होता है। मानव मन पंचकोषात्मक हैं। ये पाँच कोष हैं: काममय, मनोमय, अतीमानस, विज्ञानमय, और हीरण्मय। मानव की आध्यात्मिक उन्नति और आत्मिक प्रगति का मतलब है कि इन पाँच कोषों की उन्नत स्थिति। उस अवस्था में, मन इंद्रियों के भौतिक संसार की ओर नहीं भागता, बल्कि अतीन्द्रिय आनंद की ओर बढ़ता रहता है। सीमित संसार से भी अनंत के साथ संबंध स्थापित करने का प्रयास। परिमित और अनंत के बीच संबंध स्थापित करने के इस प्रयास को मिष्टकाव कहा जाता है। यह कौशिक नृत्य मनुष्य के दिमाग का विस्तार करता है, जिससे उसे मुक्ति की राह पर चलने में मदद मिलती है। इस नृत्य के नियमित अभ्यास से पुरुषों को भी लाभ होगा। लेकिन यह नृत्य मुख्यतः महिलाओं के लिए है।
कौशिकी नृत्य के नियमित अभ्यास के परिणामस्वरूप, इससे कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। वे निम्नलिखित हैं –
1) इस नृत्य में सिर से पैर तक सभी अंगों और ग्रंथियों का व्यायाम होता है।
2) व्यक्ति की आयु बढ़ जाती है।
3) प्रसव में मदद करता है।
4) मेरुदंड की लचीलापन को बनाए रखता है।
5) कौशिकी नृत्य से कमर, कूल्हों, कमर और शरीर के अन्य भागों में जोड़ों का दर्द (गठिया) में सुधार होता है।
6) कौशिकी नृत्य से कमर, कूल्हों, हाथ और कमर में दर्द को कम किया जा सकता है।
7) दिमाग की ताकत और तीव्रता बढ़ती है।
8) लड़कियों में अनियमित मासिक धर्म को दूर करता है।
9) ग्रंथि स्राव नियमित होता है।
10) मूत्राशय और मूत्र पथ के रोगों को ठीक करता है।
11) शरीर के अंगों पर अधिक नियंत्रण होता है.
12) चेहरे की रंगत और त्वचा की सुंदरता में सुधार करने में मदद करता है।
13) त्वचा के दाग-धब्बे सही करता है।
14) आलस्य को दूर करता है।
15) अनिंसोमनिया को पार करने में मदद करता है।
16) हिस्टीरिया में लाभकारी होता है।
17) डरपोकता कम करता है और शरीर और मन में साहस डालता है।
18) आशाहीनता को हटा देता है।
19) अपनी स्वयं प्रकाश-क्षमता और कौशल में सुधार करने में मदद करता है।
20) मेरुदंड के दर्द, पाइल्स, हर्निया, हाइड्रोसील, नसों की कठिनाइयों, और नसों की कमजोरी को दूर करता है।
21) किडनी, गॉलब्लैडर, गैस्ट्राइटिस, एसिडिटी, डायरिया, सिफिलिस, गोनोरिया, मोटापा, कमजोरी, और लिवर संबंधित रोगों को दूर करने में मदद करताy है।
22) 75-80 वर्ष की आयु तक शरीर के कार्यशीलता को बनाए रखता है।🙏🌷