अंतरिक्ष की रोशनी
ये रंग-बिरंगी झलकियां कुछ कहानी सुनाती हैं,
हरी गुलाबी रोशनीयां मेरे मन को लुभाती हैं!
कोई ईश्वरीय प्राणी आया है क्या इस धरा पर,
अपने स्वर्ग का स्वर्णिम पर्दा हलका सा खीवा कर!
मंजीरों की तरह लहलहाता पूरी रात,
सुबह की किरण के जाता साथ!
हो सकता है ये हमारी अंतरात्मा की हो गूंजती हुई आवाज़,
कह रही हो- उठो बन जाओ तुम भी एक साज!
समझदार बोलेंगे कि कुछ नहीं सूरज का है ये एक छोटा सा अंश,
पर मुझे दिखता इसमें पूरे ब्रह्मांड का सारांश !!
Poetess: Priyanka Singh, USA
Nature can inspire everyone and bring inner peace and balance – so needed in modern times
Mother Nature is source of all our resources.
बहुत सुंदर।
“धन्यवाद जी”